तन्हा-कुछ और नज्में -गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar
कहाँ छुपा दी है रात तूने
कहाँ छुपाए हैं तूने अपने गुलाबी हाथों से ठंडे फाये
कहाँ हैं तेरे लबों के चेहरे
कहाँ है तू आज-तू कहाँ है ?
यह मेरे बिस्तर पे कैसा सन्नाटा सो रहा है ?