जो ज़िंदगी बची है उसे मत गंवाइये-ग़ज़लें-जौन एलिया -Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Jaun Elia
जो ज़िंदगी बची है उसे मत गंवाइये
बेहतर ये है कि आप मुझे भूल जाइए
हर आन इक जुदाई है ख़ुद अपने आप से
हर आन का है ज़ख़्म जो हर आन खाइए
थी मश्वरत की हम को बसाना है घर नया
दिल ने कहा कि मेरे दर-ओ-बाम ढाइए
थूका है मैंने ख़ून हमेशा मज़ाक़ में
मेरा मज़ाक़ आप हमेशा उड़ाइए
हरगिज़ मिरे हुज़ूर कभी आइए न आप
और आइए अगर तो ख़ुदा बन के आइए
अब कोई भी नहीं है कोई दिल-मोहल्ले में
किस किस गली में जाइए और गुल मचाइए
इक तौर-ए-दह-सदी था जो बे-तौर हो गया
अब जंतरी बजाइये तारीख़ गाइए
इक लाल-क़िलअ’ था जो मियाँ ज़र्द पड़ गया
अब रंग-रेज़ कौन से किस जा से लाइए
शाइ’र है आप या’नी कि सस्ते लतीफ़-गो
रिश्तों को दिल से रोइए सब को हँसाइए
जो हालतों का दौर था वो तो गुज़र गया
दिल को जला चुके हैं सो अब घर जलाइए
अब क्या फ़रेब दीजिए और किस को दीजिए
अब क्या फ़रेब खाइए और किस से खाइए
है याद पर मदार मेरे कारोबार का
है अर्ज़ आप मुझ को बहुत याद आइए
बस फ़ाइलों का बोझ उठाया करें जनाब
मिस्रा ये ‘जौन’ का है इसे मत उठाइए