जी आया-खुली आँखें खुले डैने -केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal
जी आया
अपने जीवन के
अस्सी साल
अब
आ पहुँचा
इक्यासी में।
प्राण पुष्ट
मैं इसे जिऊँगा,
तम को ताने तना
रहूँगा,
नहीं झुकूँगा
नहीं झुकूँगा।
नए साल में
नया लिखूँगा,
नए लिखे में नया दिखूँगा,
सत्य समर्पित सधा
रहूँगा,
शब्द अर्थ का
श्रमिक
बनूँगा।
रचनाकाल: २३-०३-१९९१