जिसे देखते ही ख़ुमारी लगे-ग़ज़लें -निदा फ़ाज़ली-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nida Fazli
जिसे देखते ही ख़ुमारी लगे
उसे उम्र सारी हमारी लगे
उजाला सा है उस के चारों तरफ़
वो नाज़ुक बदन पाँव भारी लगे
वो ससुराल से आई है माइके
उसे जितना देखो वो प्यारी लगे
हसीन सूरतें और भी हैं मगर
वो सब सैकड़ों में हज़ारी लगे
चलो इस तरह से सजाएँ उसे
ये दुनिया हमारी तुम्हारी लगे
उसे देखना शेर-गोई का फ़न
उसे सोचना दीन-दारी लगे
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