जा न सके-रिशु प्रिया -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rishu Priya
दरिया की कश्ती थे
जो सागर तक जा न सके
तुमसे मिलना मुक़द्दर था
और बिछड़ना क़िस्मत
इसलिए शिक़ायत कभी
होंठों तक ला न सके ।।
जा न सके-रिशु प्रिया -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rishu Priya
दरिया की कश्ती थे
जो सागर तक जा न सके
तुमसे मिलना मुक़द्दर था
और बिछड़ना क़िस्मत
इसलिए शिक़ायत कभी
होंठों तक ला न सके ।।