जवानी है क़लम मेरी-वंशीवट सूना है -गोपालदास नीरज-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gopal Das Neeraj
जवानी है क़लम मेरी
मुहब्बत रोशनाई है।
मैं तो शायर हूँ जिसकी
ज़िन्दगी ही इक रुबाई है!
जलाकर दिल अंधेरों में
उजाला कर रहा हूँ मैं
हरेक सूनी हथेली पर
सितारे धर रहा हूँ मैं
हैं मेरे यार सब आँसू
ग़मों से आशनाई है।
मैं वो शायर हूँ जिसकी
ज़िन्दगी ही इक रुबाई है!
किसी भी ज़ुल्म के आगे
नहीं झुकती क़लम मेरी
भले ही वक़्त रुक जाये
नहीं रुकती क़लम मेरी
लगाकर दाँव मुझ से मौत ने
भी मात खाई है।
मैं वो शायर हूँ जिसकी
ज़िन्दगी ही इक रुबाई है!
सितारे जिनसे नाखुश हैं,
उन्हें मैं रोशनी दूँगा
जो जीने को तरसते हैं,
उन्हें मैं ज़िन्दगी दूँगा
जमाने को बदलने की
क़सम मैंने उठाई है।
मैं वो शायर हूँ जिसकी
ज़िन्दगी ही इक रुबाई है!