जवानी खुद अपनी पहचान-श्रीकृष्ण सरल -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shri Krishna Saral
जवानी खुद अपनी पहचान
जवानी की है अद्भुत शान
जवानी खुद अपनी पहचान।
घिसट कर चलता बचपन है
लड़कपन अल्हड़ जीवन है
बुढ़ापा थका-थका चलता
जवानी ऊँची बहुत उड़ान
जवानी खुद अपनी पहचान।
जवानी लपटों का घर है
जवानी पंचम का स्वर है
जवानी सपनों की वय है
जवानी में जाग्रत अरमान
जवानी खुद अपनी पहचान।
जवानी के दिन करने के
जवानी के दिन भरने के
जवानी दिन भूचालों के
जवानी है उठता तूफ़ान
जवानी खुद अपनी पहचान।
जवानी को न गँवाए हम
भला कुछ कर दिखालाएँ हम
जवानी पश्चाताप न हो
जवानी हो संतोष महान
जवानी खुद अपनी पहचान।
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