जल-बांग्ला कविता(अनुवाद हिन्दी में) -शंख घोष -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Shankha Ghosh
क्या जल समझता है तुम्हारी किसी व्यथा को?
फिर क्यों, फिर क्यों
जाओगे तुम जल में क्यों छोड़ गहन की सजलता को?
क्या जल तुम्हारे सीने में देता है दर्द?
फिर क्यों, फिर क्यों
क्यों छोड़ जाना चाहते हो दिन रात का जलभार?
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