जब सुर्दसन चले तो, कौरव का संघार करे-कविता -दीपक सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Deepak Singh
जब सुर्दसन चले तो, कौरव का संघार करे
वीर बढ़ें भारत के तो दुष्टों का नास करें।
जिस देश में हम रहें, उस राष्ट्र का गुणगान करें
लक्ष्मीबाई की तलवार, दुश्मन का सीना फाड़ करे
अनेक भाषाओं को हम, पूजें, हिन्दी का सम्मान करें
मंदिर बसा हृदय में हमारे, गीता का ग्यान भरे
जब सुर्दसन चले तो, कौरव का संघार करे ।
गीता बाईबिल रामायन, अच्छे आचरण की सार भरे
बिबेकानंद की धरती ये, शून्य पर ब्याख्यान करे
बिक्रमादित्य बत्तीसी सिन्घासन, चेतक की रफ्तार घरे
हमको जो कमतर आंके, हम बिश्वगुरु का मान भरे
जब सुर्दसन चले तो कौरव का संघार करे ।
मंगल पर गया यान है शक्ति का आभास लिये
अब्दुल कलाम है याद हमे, कल्पना की हिम्मत बात भरे
सियाचीन ऊंची चोटी पर, जवानों की हुंकार भरे
छाती दहले दुश्मनों की, जब लड़ने की बात करे
जब सुर्दसन चले तो, कौरव का संघार करे ।
भारत की दिलदारी दिखा, इसरो ने कीर्तिमान गढ़े
हिंदुस्तान की बढ़ती साख का चहुं, ओर देश बखान करे
सर्जिकल स्ट्राइक का दम, दुनिया में आयाम गढ़े
सुधरो तो ठीक आतंकी, या हम तुम्हारा नास करें
जब सुर्दसन चले तो, कौरव का संघार करे ।
नेता जी कह गये हैं, अधरों मे इतिहास धरे
क्या हुआ क्यों हुआ, अब हम जानने की बात करें
यह देश है हमारा, अपनी संस्कृति का ध्यान धरें
संस्कृति के मंत्रो को समझे, तो दुनिया पर राज करे
जब सुर्दसन चले तो, कौरव का संघार करे ।
एक राष्ट्र है भारत, राष्ट्र अखण्डता की साख भरे
अलगाववादियों की नीति खत्म, वे सीमा को पार करें
पूर्ब, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, अमर तिरंगे को सलाम करें ।