जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोईफिर कबीर -मुनव्वर राना -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Munnawar Rana
जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई
लोग माज़ी का भी अन्दाज़ा लगा लेते हैं
मुझको तो याद नहीं कल का भी क़िस्सा कोई
बेसबब आँख में आँसू नहीं आया करते
आपसे होगा यक़ीनन मेरा रिश्ता कोई
याद आने लगा एक दोस्त का बर्ताव मुझे
टूट कर गिर पड़ा जब शाख़ से पत्ता कोई
बाद में साथ निभाने की क़सम खा लेना
देख लो जलता हुआ पहले पतंगा कोई
उसको कुछ देर सुना लेता हूँ रूदादे-सफ़र
राह में जब कभी मिल जाता है अपना कोई
कैसे समझेगा बिछड़ना वो किसी का ‘राना’
टूटते देखा नहीं जिसने सितारा कोई