चुलियाला छंद’ “मृदु वाणी”-शुचिता अग्रवाल शुचिसंदीप -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Suchita Agarwal Suchisandeep
शब्दों के व्यवहार का, जिसने सीखा ज्ञान सुखी वह।
वाणी कटुता से भरी, जो बोले है घोर दुखी वह।।
होता यदि अन्याय हो, कायर बनकर कष्ट सहो मत।
हँसकर कहना सीखिये, कटु वाणी के शब्द कहो मत।।
औषध करती है भला, होते कड़वे घूँट सहायक।
अंतर्मन निर्मल करे, निंदक होते ज्ञान प्रदायक।।
मृदुवाणी अनमोल है, संचित जो यह कोष करे नर।
सुख ओरों को भी मिले, अनुपम धन से खूब भरे घर।।
कर्कश भाषा क्रोध की, सर्व विनाशक बाण चला मत।
हृदय बेन्ध पर मन करे, पल भर में ही पूर्ण हताहत।।
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चुलियाला छंद विधान –
चुलियाला छंद एक अर्द्धसम मात्रिक छंद है जिसके
प्रति पद में 29 मात्रा होती है। प्रत्येक पद 13, 16
मात्रा के दो यति खण्डों में विभाजित रहता है।
चुलियाला छंद के दो भेद मिलते हैं। चुलियाला
छंद दोहा छंद से विनर्मित होता है।
प्रथम भेद दोहे के जैसा ही एक द्वि पदी छंद होता है।
यह दोहे के अंत में 1211 ये पाँच मात्राएँ जुड़ने से
बनता है। इसका मात्रा विन्यास निम्न है –
2222 212, 2222 21 1211 = (चुलियाला) =
13, 8-21-1211 = 29 मात्रा।
दूसरा भेद चतुष पदी छंद होता है। यह दोहे के अंत में
1SS (यगण) ये पाँच मात्राएं जुड़ने से बनता है। इसके
पदांत में सदैव दो दीर्घ वर्ण आते हैं।
इसका मात्रा विन्यास निम्न है –
2222 212, 2222 21 1SS = (चुलियाला) =
13, 8-21 1+गुरु+गुरु = 29 मात्रा।
उदाहरण-
“मूक पुकारे कोख में, कहती माँ से मोहि बचाओ।
हत्या मेरी रोकलो, लीला माँ तुम आज रचाओ।।
तुम मेरी भगवान हो, जीवन का हो एक सहारा।
हत्यारों के हाथ पर, करो वार तुम एक करारा।।”
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