चलो इज़हार कर लें-कविता -स्वागता बसु -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Swagata Basu
दिन ये कैसा ढला-ढला है
पिघल रहा है मोम बनकर
आंसुओं में धूल धूल सा
बेकरार है, मचल रहा है
इस शाम को अपनी झोली में भर लें
चलो आज एक इज़हार कर लें।
वो कौन बैठा है झाड़ियों में
दुबक – दुबक कर सिसक रहा है
कभी इधर से, कभी उधर से
खून से कुछ टपक रहा है
पिलपिला से हुआ पड़ा है
बूढ़ी आंखें सहम गईं हैं
प्यार से बात दो-चार कर लें?
वो जिसने हमको बड़ा किया है
चलो, उसे फिर प्यार कर लें।।