गीत-कविता -दीपक सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Deepak Singh
मुझमें तुम समा गये दिल मे अक्श मिला गये।
किमाम सा अपना मुझमें इश्क मिला गये।।
हबीब सी छांव मांग ली मुझसे।
बेजान में जान डाल दी जैसें।।
तेरे इश्क में दिल पे वार हो गये।
साजिशों में तेरे शिकार हो गये।
तेरे ओंठो के छुवन ही
मुझमे इश्क मिला गये।
मुझमें तुम समा गये दिल मे अक्श मिला गये।
किमाम सा अपना मुझमें इश्क मिला गये।।
हीर मैं जियू कैसे छोड़ गये तुम।।
सभी वादे कसमें भी तोड़ गये तुम।
मुझमें अपना आशियाना बनाकर
इसदिल को रोता क्यूं छोड़ गये तुम।।
मेरी सांसों में अपना
तुम अक्श मिला गये।।
मुझमें तुम समा गये दिल मे अक्श मिला गये।
किमाम सा मुझमें अपना इश्क मिला गये।।
तुझ बिन कैसे जी पाऊंगा।
मेरी हीर गई मर जाऊंगा।
तू हंसती रही मैं रोता रहा।
इस इश्क मे राझे बन जाऊंगा।
मेरे इश्क में तुम
क्यो रश्क मिला गये।
मुझमें तुम समा गये दिल मे अक्श मिला गये।
किमाम सा मुझमें अपना इश्क मिला गये।।