गले लगा लो दो घड़ी के लिए-रिशु प्रिया -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Rishu Priya
सोने चाँदी की थाली जरूरी नहीं
दिल का दीपक बहुत है आरती के लिए
ऊब जाएं ज्यादा न हम कहीं खुशी से
ग़म भी जरूरी है ज़िन्दगी के लिए
तुम हवा को पकड़ना छोड़ दो
वक्त रुकता नहीं किसी के लिए
सब ग़लतफहमियाँ दूर हो जाएंगी अपनों से
हंस मिल लो गले लगा लो दो घड़ी के लिए ।