खून के छींटे-शहीद भगत सिंह-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem|Kavita Shaheed Bhagat Singh
ये छींटे खून की उस दामन-ए-कातिल कहानी है,
शहीदान-ए-वतन की कुछ निशानी देखते जाओ ।
अभी लाखों ही बैठे बुझाने प्यास अपनी,
खत्म हो जाएगा खंजर का पानी, देखते जाओ ।
अरे साहब जिवह करने से क्यों मुंह फेर लेते हो,
मेरी गर्दन पे खंजर की रवानी, देखते जाओ ।
करेगा खून-ए-नाहक कब तलक मजलूम का जालिम,
रहेगी कब तलक ये हुकुमरानी, देखते जाओ ।
हमारी आह से आतिश झटक उठेगी दुनिया में,
अजब गर्दश है रंगत आसमानी, देखते जाओ ।
ये छींटे खून की उस दामन-ए-कातिल कहानी है,
शहीदान-ए-वतन की कुछ निशानी देखते जाओ ।