खुशियाँ कम हैं-प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh
खुशियाँ कम हैं
गम ज्यादा हैं
खुशियों को सुलगाना होगा
दर्द का हिमखंड पिघलाना होगा
गीत कोई तो गाना होगा
आवाज़ भले भर्राई हो
आँख डबडबा आई हो
यादों को महकाना होगा
सन्नाटे को गुंजाना होगा
गीत कोई तो…
सरगम के सुर टूटे हैं
मतलब शब्दों के छूटे हैं
छंद नया बनाना होगा
हर मन संगीत सजाना होगा
गीत कोई तो…
साँस-साँस भारी है
आस-आस दुश्वारी है
आशंकित मन समझाना होगा
आतंकित जीवन सहलाना होगा
गीत कोई तो गाना होगा
गीत कोई तो गाना होगा…
Pingback: प्रदीप सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pradeep Singh – hindi.shayri.page