ख़ुदा ही जिम्मेदार है-खोया हुआ सा कुछ -निदा फ़ाज़ली-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nida Fazli
हर एक जुर्म नाम है
जो नाम
संगसार है
वो नाम बेकुसूर है
कुसूरवार भूल है
जो मुद्दतों से
रायफिल है
चीख है
पुकार है
यही गुनहगार है
नहीं ये भूख तो
किसी महल की पहरेदार है
ग़रीब ताबेदार है
गुनहगार है महल
मगर महल तो ख़ुद
सियासतों का इश्तहार है
सियासतों के इर्द गिर्द भी
कोई हिसार है
अजीब इन्तिशार है
न कोई चोर
चोर है
न कोई साहूकार है
ये कैसा कारोबार है
ख़ुदा की कायनात का
ख़ुदा ही जिम्मेदार है