कोई भटकता बादल-दर्द आशोब -अहमद फ़राज़-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Ahmed Faraz,
दूर इक शहर में जब कोई भटकता बादल
मेरी जलती हुई बस्ती की तरफ़ जाएगा
कितनी हसरत से उसे देखेंगी प्यासी आँखें
और वो वक़्त की मानिंद गुज़र जाएगा
जाने किस सोच में खो जाएगी दिल की दुनिया
जाने क्या-क्या मुझे बीता हुआ याद आएगा
और उस शह्र का बे-फैज़ भटकता बादल
दर्द की आग को फैला के चला जाएगा