कुछ इश्क किया कुछ काम किया-शामे-श्हरे-यारां -फ़ैज़ अहमद फ़ैज़-Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Faiz Ahmed Faiz
वो लोग बहुत ख़ुश-किस्मत थे
जो इश्क को काम समझते थे
या काम से आशिकी करते थे
हम जीते-जी मसरूफ़ रहे
कुछ इश्क किया कुछ काम किया
काम इश्क के आड़े आता रहा
और इश्क से काम उलझता रहा
फिर आख़िर तंग आकर हमने
दोनों को अधूरा छोड़ दिया