किस तरफ़ से आ रही है-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
किस तरफ़ से आ रही है आज पैहम बू-ए-दोस्त
ऐ सबा,बिखरे हैं किस अन्दाज़ से गेसू-ए दोस्त
कुछ न पूछ ऐ हमनशीं,रुदादे-रंगो-बू-ए-दोस्त
एक अफ़साना था दीदार-ए-रुखो-गेसू-ए-दोस्त
इस तरफ़ भी कोई मौजे-नकहते-गेसू-ए-दोस्त
हम भी बैठे हैं उसी रुख ऐ हवा-ए-कू-ए-दोस्त
आ गई है नींद-सी दामाने-सहरा में मुझे
उम्र भर रोया हूँ तुझको ऐ ज़मीने-कू-ए-दोस्त
चढ़ गई थी त्योरियाँ मेरी उदासी पर ‘फिराक़’
याद आते हैं मुझे वो बल पड़े अबरू-ए-दोस्त