कारनामें-कविता-पीयूष पाचक-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Piyush Pachak
आतंकवादी कारनामें
रोज़ सैंकड़ों लाशों के
पंचनामे,
भूख व्याकुल करे
या दंगों में गरीब मरे,
किस्मत में मरना ही
लिखा है तो
बेचारी सरकार क्या करे,
ये उपाय तो
जनसंख्या नियंत्रण के
तौर है
सचमुच हमारे देश में
विकास का दौर है।