कवि- भग्नदूत अज्ञेय- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय”-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,
एक तीक्ष्ण अपांग से कविता उत्पन्न हो जाती है,
एक चुम्बन में प्रणय फलीभूत हो जाता है,
पर मैं अखिल विश्व का प्रेम खोजता फिरता हूँ,
क्यों कि मैं उस के असंख्य हृदयों का गाथाकार हूँ।
एक ही टीस से आँसू उमड़ आते हैं,
एक झिड़की से हृदय उच्छ्वसित हो उठता है।
पर मैं अखिल विश्व की पीड़ा संचित कर रहा हूँ-
क्यों कि मैं जीवन का कवि हूँ।
दिल्ली जेल, सितम्बर, 1932