कलम जो लिखती शब्दों को-कविता -दीपक सिंह-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Deepak Singh
कलम जो लिखती शब्दों को,
मोल नहीं बस तौले शासन।
कलम क्या सस्ती या भ्रष्ट हवा,
बस मोले सिंहासन मोले सिंहासन।।
इन नैनों से सबको दिखती,
भ्रष्टाचार की महानदी
उत्थान है किसका कैसी धारा,
कलयुग की यह महासदी
जड़ें कुपोषित सबकी हैं,
कौन सुने बस मोले आसन ।।
कलम जो लिखती शब्दों को,
मोल नहीं बल तौले शासन।
कलम क्या सस्ती या भ्रष्ट हवा,
बस मोले सिंहासन मोले सिंहासन।।
व्यथित मन उदासित चेहरे,
अपने लक्ष्यों का अरमान लिए
बढ़ते पग को रोके जंजीरें,
आरक्षण का दाग लिए
कैसे हो भारत निर्माण,
सबकी गरीबी ना देखे शासन।।
कलम जो लिखती शब्दों को,
मोल नहीं बस तौले शासन
कलम क्या सस्ती यह भ्रष्ट हवा,
बस मोले सिंहासन मोले सिंहासन।।