कभी जब तेरी याद आ जाय है-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
कभी जब तेरी याद आ जाय है दिलों पर घटा बन के छा जाय है
शबे-यास में कौन छुप कर नदीम मेरे हाल पर मुसकुरा जाय है
महब्बत में ऐ मौत ऐ ज़िन्दगी मरा जाय है या जिया जाय है
पलक पर नदीम गाहगाह सितारा कोई झिलमिला जाय है
तेरी याद शबहा-ए-बे-ख़्वाब में सितारों की दुनिया बस जाय है
जो बे-ख़्वाब रक्खे है ता ज़िन्दगी वही ग़म किसी दिन सुला जाय है
न सुन मुझसे हमदम मेरा हाल-ज़ार दिलो-नातवाँ सनसना जाय है
ग़ज़ल मेरी खींचे है ग़म की शराब पिये है वो जिससे पिया जाय है
मेरी शाइरी जो है जाने-नशात ग़मों के ख़ज़ाने लुटा जाय है
मुझे छोड़ कर जाय है तेरी याद कि जीने का एक आसरा जाय है
मुझे गुमरही का नहीं कोई ख़ौफ़ तेरे घर को हर रास्ता जाय है
सुनायें तुम्हें दास्ताने-फ़िराक़ मगर कब किसी से सुना जाय है