एक शायर दोस्त से-लावा -जावेद अख़्तर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Javed Akhtar
घर में बैठे हुए क्या लिखते हो
बाहर निकलो
देखो क्या हाल है दुनिया का
ये क्या आलम है
सूनी आँखें हैं
सभी ख़ुशियों से ख़ाली जैसे
आओ इन आँखों में ख़ुशियों की चमक हम लिख दें
ये जो माथे हैं
उदासी की लकीरों के तले
आओ इन माथों पे िक़स्मत की दमक हम लिख दें
चेहरों से गहरी ये मायूसी मिटाके
आओ
इनपे उम्मीद की इक उजली किरन हम लिख दें
दूर तक जो हमें वीराने नज़र आते हैं
आओ वीरानों पर अब एक चमन हम लिख दें
ल॰प॰Ìज-दर-लफ्ज़ समुंदर-सा बहे
मौज-ब-मौज
बह्रे-नग़मात में
हर कोहे-सितम हल हो जाए
दुनिया दुनिया न रहे एक ग़ज़ल हो जाए।