उस के बाला है अब वो कान के बीच-ग़ज़लें-नज़ीर अकबराबादी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nazeer Akbarabadi
उस के बाला है अब वो कान के बीच
जिस की खेती है झूक जान के बीच
दिल को इस की हवा ने आन के बीच
कर दिया बावला इक आन के बीच
आते उस को इधर सुना जिस दम
आ गई इम्बिसात जान के बीच
राह देखी बहुत ‘नज़ीर’ उस की
जब न आया वो इस मकान के बीच
पान भी पाँदाँ में बंद रहे
इत्र भी क़ैद इत्र-दान के बीच