उलझन-रात पश्मीने की-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar
एक पशेमानी रहती है
उलझन और गिरानी भी..
आओ फिर से लड़कर देंखें
शायद इससे बेहतर कोई
और सबब मिल जाए हमको
फिर से अलग हो जाने का!!
उलझन-रात पश्मीने की-गुलज़ार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Gulzar
एक पशेमानी रहती है
उलझन और गिरानी भी..
आओ फिर से लड़कर देंखें
शायद इससे बेहतर कोई
और सबब मिल जाए हमको
फिर से अलग हो जाने का!!