इश्क तो दुनियाँ का राजा है-कविता -फ़िराक़ गोरखपुरी-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Firaq Gorakhpuri
इश्क़ तो दुनिया का राजा है
किस कारन वैराग लिया है
ज़र्रा-ज़र्रा काँप रहा है
किसके दिल में दर्द उठा है
रो कर इश्क़ ख़ामोश हुआ है
वक़्त सुहाना अब आया है
काशी देखा,काबा देखा
नाम बड़ा दरसन छोटा है
यूँ तो भरी दुनियाँ है लेकिन
दुनिया में हरइक तनहा है
इश्क़ अगर सपना है, ऐ दिल
हुस्न तो सपने का सपना है
हम खुद क्या थे,हम खुद क्या हैं ?
कौन ज़माने में किसका है ?
कौन बसा है खाना-ए-दिल में
तू तो नहीं,लेकिन तुझ सा है
रमता जोगी बहता पानी
इश्क़ भी मंज़िल छोड़ रहा है
दबा-दबा सा,रुका-रुका सा
दिल में शायद दर्द तेरा है
यूँ तो हम खुद भी नहीं अपने
यूँ तो जो भी है अपना है
ये भी सोचा रोने वाले!
किस मुश्किल से दर्द उठा है?
एक वो मिलना,एक ये मिलना
क्या तू मुझको छोड़ रहा है ?
हाँ मैं वही हूँ,हाँ मैं वही हूँ
तू ही मुझको भूल रहा है
तू भी’फिराक़’अब आँख लगा ले
सुबह का तारा डूब चला है