इन घुच्ची आँखों में-अपने खेत में -नागार्जुन-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Nagarjun
क्या नहीं है
इन घुच्ची आँखों में
इन शातिर निगाहों में
मुझे तो बहुत कुछ
प्रतिफलित लग रहा है!
नफरत की धधकती भट्टियाँ…
प्यार का अनूठा रसायन…
अपूर्व विक्षोभ…
जिज्ञासा की बाल-सुलभ ताजगी…
ठगे जाने की प्रायोगिक सिधाई…
प्रवंचितों के प्रति अथाह ममता…
क्या नहीं झलक रही
इन घुच्ची आँखों से?
हाय, हमें कोई बतलाए तो!
क्या नहीं है
इन घुच्ची आँखों में!