इज़हारे मुहब्बत-नीरज कुमार-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Neeraj Kumar
वह आए
पास बैठे
नज़रें मिलाए
मुस्कुराए
और चल दिए
हम इतने नादान निकले कि
उनके मुस्कान को प्यार समझ बैठे
आज जब पैर क़ब्र में है
दम निकला जा रहा है
साँस छूटी जा रही है
सामने अंधकार बढ़ता जा रहा है
फिर भी हम उम्मीद लगा के बैठे है
वो आएँगे और
इजहारे मुहब्बत कर जाएँगे!