अभी था…-ग़ज़लें-मोहनजीत कुकरेजा -Hindi Poetry-कविता-Hindi Poem | Kavita Mohanjeet Kukreja Ghazals
जब तू नहीं था कुछ भी नहीं था,
तू जब मिला तो मैं ही नहीं था !
एक सदमे का बस इंतज़ार रहा,
मिल जायेगा तू सोचा नहीं था !
तू मिला पर एक छलावे जैसा,
अभी था… और अभी नहीं था !
और कब तक मैं इंतज़ार करता,
सब्र था… मगर इतना नहीं था !
तेरी आमद से पहले दम निकला,
साँसों को मैंने रोका नहीं था !!
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