अब पहरुए-खुली आँखें खुले डैने -केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal
अब
पहरुए
आदमी की
चाँदमारी
करते हैं,
सत्ता का कुंड
आदमियों के रक्त से भरते हैं।
रचनाकाल: ०२-०९-१९९०
अब पहरुए-खुली आँखें खुले डैने -केदारनाथ अग्रवाल-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Kedarnath Agarwal
अब
पहरुए
आदमी की
चाँदमारी
करते हैं,
सत्ता का कुंड
आदमियों के रक्त से भरते हैं।
रचनाकाल: ०२-०९-१९९०