अब क्या नहीं देखता कोई मुझे चुनने से पहले-पंकज पुण्डीर-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Pankaj Pundir
अब क्या नहीं देखता कोई मुझे चुनने से पहले,
जो बचपन में हो गयीं वो यारियाँ अच्छी थीं.
यक़ीनन वो परेशां है, किस गुनाह की सज़ा दे दी,
वो इंसान भी ठीक था उसकी बातें भी अच्छी थी.
दो कप अदरक की चाय और ढ़ेर सारी बकवास,
तेरे साथ जो गुज़र गयी वो हर एक श्याम अच्छी थी.
एक तेरी रहबरी में, हर बार हमने ही रास्तें लंबे चुने,
थकान थी बहुत मगर कल रात नींद अच्छी थी.
फ़ुरसतें कब हासिल, वो बस यूं पढ़ रहा है मुझे,
मेरी पिछली ग़ज़ल में कोई एक बात अच्छी थी.