अनाम-सपना अभी भी -धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati
सख्त रेशम के नरम स्पर्श की वह धार
उसको नाम क्या दूँ?
एक गदराया हुआ सुख, एक विस्मृति, एक डूबापन
काँपती आतुर हथेली के तले वह फूल सा तन
हर छुवन जिसको बनाती और ज्यादा अनछुआ
नशा तन का, किंतु तन से दूर-तन के पार
अँधेरे में दीखता तो नहीं पर जो फेंकता है दूर तक-
लदबदायी खिली खुशबू का नशीला ज्वार
हरसिंगार सा वह प्यार
उसको क्या नाम दूँ?
वह अजब, बेनाम, बे-पहचान, बे-आकार
उसको नाम क्या दूँ?