अंतहीन यात्री-सात गीत-वर्ष -धर्मवीर भारती-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Dharamvir Bharati
बिदा देती एक दुबली बाँह सी
यह मेड़
अँधेरे में छूटते चुपचाप
बूढे पेड
ख़त्म होने को न आएगी कभी क्या
एक उजड़ी माँग सी यह धूल धूसर राह?
एक दिन क्या मुझी को पी जाएगी
यह सफ़र की प्यास, अबुझ, अथाह?
क्या यही सब साथ मेरे जायेंगे
ऊँघते क़स्बे, पुराने पुल?
पाँव में लिपटी हुई यह धनुष सी दुहरी नदी
बींध देगी क्या मुझे बिलकुल?