सखि! आ गये नीम को बौर-एकायन-चिन्ता अज्ञेय-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya,
सखि! आ गये नीम को बौर-एकायन-चिन्ता अज्ञेय-सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अज्ञेय-Hindi Poetry-हिंदी कविता -Hindi Poem | Hindi Kavita Sachchidananda Hirananda Vatsyayan Agyeya, सखि! आ गये नीम को बौर! हुआ चित्रकर्मा वसन्त अवनी-तल पर सिरमौर। आज नीम की कटुता से भी लगा टपकने मादक मधु-रस! क्यों न फड़क फिर उठे तड़पती विह्वलता से मेरी नस-नस! सखि! आ गये नीम को बौर! 'प्रणय-केलि का आयोजन सब करते हैं सब ठौर'- कठिन यत्न से इसी तथ्य के प्रति मैं नयन मूँद…